हम आज भी तेरी आँखों में चमकते हैं
धड़कन बनकर तेरे सीने में धड़कते हैं!
क्यों कबूल नहीं करते मेरी मोहब्बत को,
जबकि तेरे लव मुझसे कुछ कहने को तरसते हैं! +Pushpendra Rajput 


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