पत्थर हूँ में, तू फूल बना दे मुझको, मुजरिम हूँ तेरा, जो चाहे सजा दे मुझको! लफ्ज नहीं निकल पाते हैं, मोहब्बत अब भी बेपनाह है, तू दरिया है मुझे, समंदर बना खुद से मिला ले मुझको!!@Raj
Ankho se hokar dil me utarte chale gaye, Chehre ka noor bankar nikharte chale gaye... Ye hakikat hai ki panchiyo kai thikana nahi hota, Tum panchi bankar is dil me aashiyana karte chale gaye.. Pushpendra Rajput
रोज करते थे जो आँखों से वो शरारत छोड़ दी, तेरी आँखों को खुद से मिलाने की सिफारिस छोड़ दी देखा जबसे तुझे हँसते हुए किसी और के साथ, तुझसे मिलने की वो हर कवायत छोड़ दी...@Raj
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